Stray Dogs: ‘लोगों को भी सुरक्षित रहने का अधिकार’- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले मनोज बाजपेयी

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान...
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मुंबई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) को आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने के आदेश के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। जहां एक ओर पशु प्रेमी और कई बॉलीवुड सितारे इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं अभिनेता मनोज बाजपेयी ने एक संतुलित और संवेदनशील रुख अपनाया है।

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मनोज बाजपेयी ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा कि इन जानवरों ने सड़कों को नहीं चुना, और ये हम सबके प्यार के हकदार हैं। साथ ही, लोगों को भी सुरक्षित महसूस करने का हक है। हमें उनके भाग्य का फैसला डर के साए में नहीं, बल्कि हमदर्दी के साथ करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन शामिल हैं, ने 11 अगस्त को यह आदेश पारित किया। आदेश में दिल्ली और एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में ले जाने, उनका वैक्सीनेशन कराने और भविष्य में उन्हें सड़कों पर न छोड़े जाने की बात कही गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित नगर निगम इस कार्य के लिए जिम्मेदार होंगे।

कोई पक्ष में तो खिलाफ:

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बॉलीवुड दो खेमों में बंटा नजर आ रहा है। अभिनेत्री जान्हवी कपूर और अभिनेता वरुण धवन ने फैसले को ‘बेजुबानों के साथ अत्याचार’ करार देते हुए सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। इनके साथ टाइगर श्रॉफ, भूमि पेडनेकर, रवीना टंडन, जॉन अब्राहम, वीर दास, चिन्मयी श्रीपदा और अदिति गोवित्रीकर जैसे सितारे भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। जॉन अब्राहम ने तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा कि यह आदेश ‘पशु अधिकारों और संविधान द्वारा दिए गए संरक्षण’ के खिलाफ है। वहीं, रवीना टंडन ने स्थानीय निकायों की लापरवाही और नसबंदी कार्यक्रम की असफलता को इस समस्या की जड़ बताया।

हालांकि, फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा और अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कोर्ट के फैसले का समर्थन किया है। रामगोपाल वर्मा ने कहा कि मानव जीवन को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। सड़कों पर बच्चों की जान को खतरा है। रणदीप हुड्डा ने इस कदम को ‘समाधान की दिशा में बड़ा कदम’ बताया। यह बहस केवल जानवरों और इंसानों के अधिकारों की नहीं, बल्कि समाज में सामंजस्य, सह-अस्तित्व और जिम्मेदारी की भी है। मनोज बाजपेयी की टिप्पणी इस बहस को नई दिशा देती है, जिसमें न तो जानवरों की उपेक्षा है और न ही आम नागरिकों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया है।

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इन्हें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव है और इन्होंने इसे लेकर कई आर्टिकल्स लिखे हैं।
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