मुंबई। भारतीय शेयर बाजार (Share Market) के लिए आगामी हफ्ता महत्वपूर्ण रहने वाला है। जीएसटी 2.0, एच-1बी वीजा पर उठ रहे सवाल, भारत-यूएस ट्रेड डील और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश से जुड़े डेटा, इन सभी पहलुओं पर बाजार की दिशा निर्धारित हो सकती है।
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जीएसटी 2.0 का दिखेगा ये असर:
22 सितंबर से लागू होने जा रहा जीएसटी 2.0 एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। नए फ्रेमवर्क में चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) की जगह अब केवल दो टैक्स स्लैब रहेंगे— 5% और 18%, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक राहत की बात है। सरकार ने इस बदलाव के साथ कई वस्तुओं पर टैक्स दरें घटाकर सामान्य लोगों को इसका फायदा देने का लक्ष्य रखा है। इससे बाजार में एक सकारात्मक माहौल बन सकता है, विशेष रूप से खुदरा और उपभोक्ता वस्त्रों के क्षेत्र में। जीएसटी के नए नियम 22 सितंबर से लागू होंगे। छोटे कारों पर अब 18% जीएसटी लगेगा। पहले यह 28-31% था। बड़ी एसयूवी पर अब 40% टैक्स लगेगा। पहले यह 43 से 50% था। इसी तरह, 350 cc से कम के दोपहिया वाहनों पर अब 18% जीएसटी लगेगा। पहले यह 28% था।
एच-1बी वीजा के प्रभाव:
अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा की फीस में बढ़ोतरी ने भी बाजार पर प्रभाव डालने की संभावना पैदा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस को बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दिया है। यह वीजा भारतीय तकनीकी कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय एच-1बी वीजा के तहत अमेरिका में काम कर रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यह फीस एक बार की होगी और नए वीजा आवेदन पर लागू होगी। इसके बावजूद, इस निर्णय से भारतीय आईटी उद्योग को नुकसान हो सकता है, जो कि शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक बड़े फैसले के तहत H-1B वीजा पर सालाना 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की फीस लागू करने की घोषणा की है। अब किसी भी अमेरिकी कंपनी को H-1B वीजा के जरिए विदेशी वर्कर की भर्ती के लिए सरकार को यह शुल्क देना होगा। इस कदम का सबसे बड़ा असर भारतीय टेक वर्कर्स पर देखने को मिलेगा। इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत कुछ H-1B वीजा धारकों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रोक जैसी बात भी सामने आ रही है। इसका असर कंपनियों पर भी पड़ा है; इंफोसिस लिमिटेड और विप्रो लिमिटेड के अमेरिकी सूचीबद्ध शेयरों (ADR) में रातों-रात लगभग 4% तक गिरावट आई। साथ ही, 88 लाख डॉलर वार्षिक शुल्क के दायरे के दांव से भारतीय शेयर बाजार पर भी प्रभाव की चिंता पैदा हो गई है। शुक्रवार को इंफोसिस के ADR में करीब 4% और विप्रो के ADR में लगभग 2% गिरावट दर्ज की गई। नए नियमों के अनुसार, नए H-1B आवेदन के साथ या उसके पूरक के रूप में 1,00,000 डॉलर का भुगतान करना अनिवार्य होगा। यदि अमेरिकी विदेश विभाग इस भुगतान को न मानता है, तो आवेदन अस्वीकार किए जा सकते हैं। इससे संभव है कि H-1B वीजा कार्यक्रम अपने वर्तमान स्वरूप में प्रभावी रूप से समाप्त हो जाए।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि दोनों देशों के बीच बातचीत के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत के दौरे पर है, और दोनों देशों के बीच सकारात्मक दिशा में वार्ता चल रही है। यदि आगामी हफ्ते में इस संबंध में कोई अहम घोषणा होती है, तो इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर सकारात्मक हो सकता है। व्यापारिक समझौते से भारत के निर्यातकों और अन्य क्षेत्रों को फायदा हो सकता है, जिससे निवेशक उत्साहित हो सकते हैं।
भारतीय शेयर बाजार में पिछले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 1,327.38 करोड़ रुपए की बिकवाली की। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले कुछ हफ्तों में एफआईआई की बिकवाली का सबसे निचला स्तर रहा है। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 11,177.37 करोड़ रुपए का निवेश किया है। घरेलू निवेशकों का मजबूत समर्थन बाजार के लिए एक अच्छा संकेत हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक दूसरी छमाही में सुधार की व्यापक उम्मीद है। लोगों का ध्यान अर्थव्यवस्था के उन हिस्सों पर है, जिन पर जीएसटी का असर ज्यादा पड़ेगा। यानी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि आने वाले महीनों में उनकी बिक्री बढ़ेगी। खासकर उन उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी जो सस्ते हैं। इसका असर तुरंत दिख रहा है। कंपनियों को बिक्री में 8 से 10% की बढ़ोतरी की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था के निचले स्तर पर इसका ज्यादा असर होगा। कम आय वाले लोगों पर इसका असर ज्यादा होगा।
इन कंपनियों को मिल सकता है फायदा:
TVS Motor, Hero MotoCorp, Samvardhana Motherson, Exide Industries और Ashok Leyland के शेयरों में पिछले एक महीने में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। निवेशकों को उम्मीद है कि खपत में सुधार जारी रहेगा। वहीं उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में बाटा के अलावा PG Electroplast, Amber Enterprises, Century Plyboards, Dixon Technologies और Voltas के शेयरों में भी तेजी आई है। इन सभी कंपनियों को जीएसटी में कटौती से फायदा होगा।
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार पर पड़ेगा क्या असर?
H-1B वीजा फीस के प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर होगा, चलिये आपको बताते हैं। उत्तरी अमेरिका भारतीय IT कंपनियों के लिए सबसे अहम बाजार है, जहां से इन कंपनियों की आय का कम से कम एक-तिहाई से लेकर दो-तिहाई तक आता है। भारत में सूचीबद्ध इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो और उनके अन्य बड़े-कैप एवं मिडकैप समकक्ष कंपनियों के शेयर सोमवार को इस घटनाक्रम पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे, यह देखने लायक साबित होगा। निफ्टी IT इंडेक्स के लिए यह सप्ताह अब तक अच्छा रहा है, जिसमें शीर्ष टेक शेयरों में 1% से 3% तक की बढ़त दर्ज की गई है।
एच1बी वीजा की जरूरत क्यों ?
नौकरी की प्रतिस्पर्धा, वेतन में कमी और आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा अमेरिकी कर्मियों की जगह सस्ते विदेशी श्रमिकों की नियुक्ति के कारण अक्सर उठने वाले दुरुपयोग के सवाल अदृश्य नहीं रहते। आलोचक वीजा धारकों के लिए शोषण के जोखिम और ग्रीन कार्ड के लंबित मामलों पर केंद्रित रहते हैं, जबकि समर्थक आर्थिक योगदान और नवाचार पर बल देते हैं। सीमित वीजा मात्रा और आव्रजन से जुड़ी बहस तनाव बढ़ाती है, जिससे सुधारों को लेकर ध्रुवीकृत विचार सामने आते हैं। समय-समय पर अमेरिकी सरकार इसे कड़े नियमों के साथ नियंत्रित करती है। इसी वजह से यह मुद्दा हमेशा गर्म रहता है।