SC ने समय रैना को लगाई फटकार, दिव्यांगों को लेकर बनाया था ऐसा वीडियो

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान...
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मुंबई। दिव्यांगों और गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों का मज़ाक उड़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सोमवार को एक बेहद अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने सोशल मीडिया और स्टैंड-अप कॉमेडी की दुनिया के मशहूर नाम समय रैना और चार अन्य हास्य कलाकारों – विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह, सोनाली ठक्कर और निशांत तंवर को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही, उन्हें अपने यूट्यूब चैनल पर माफी मांगने का निर्देश दिया है।

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Supreme Court ने साफ कहा है कि कॉमेडी के नाम पर किसी की पीड़ा का मजाक नहीं उड़ाया जा सकता। यह न तो सामाजिक रूप से सही है और न ही क़ानूनी रूप से। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह माफी सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सच्चे दिल से होनी चाहिए ताकि समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए। कोर्ट ने कहा अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये नहीं है कि हम किसी की शारीरिक कमजोरी या बीमारी का मजाक उड़ाएं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान सभी हास्य कलाकार अदालत में मौजूद थे। सोनाली ठक्कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जिरिए पेश हुईं, जबकि बाकी कलाकार व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि जब इन कलाकारों के ख़िलाफ़ शिकायत की गई, तो उन्होंने तुरंत माफी मांगने के बजाय पहले अपना बचाव करने की कोशिश की। अदालत ने इस रवैये को गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि जब किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो पहला कदम सच्चे दिल से माफी मांगना होना चाहिए।

इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सोशल मीडिया के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने को कहा। अदालत ने कहा कि ऐसी नीतियां बनाई जानी चाहिए जो सिर्फ किसी घटना से निपटने के लिए न हों, बल्कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाएं। इसके लिए सभी हितधारकों यानी कंटेंट क्रिएटर्स, प्लेटफॉर्म, सरकारी एजेंसियों और आम लोगों की राय ली जानी चाहिए ताकि एक मजबूत कानून बनाया जा सके।

क्या है पूरा मामला:

बता दें कि स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना और अन्य कॉमेडियन के कुछ वीडियो सामने आए थे, जिनमें उन्होंने ‘स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी’ के पीड़ितों और दृष्टिहीनों का मजाक उड़ाया था। एक फाउंडेशन ने इस पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि ऐसा मजाक दिव्यांगों की गरिमा के खिलाफ है। यह सिर्फ कुछ वीडियो का मामला नहीं है, बल्कि एक गलत ट्रेंड बन रहा है जिसमें समाज के कमजोर तबके को मजाक का पात्र बनाया जा रहा है।

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इन्हें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव है और इन्होंने इसे लेकर कई आर्टिकल्स लिखे हैं।
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