डेस्क। हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष पर जो एकादशी पड़ती है उसे परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) कहा जाता है। इस दिन के बारे में धार्मिक मान्यता है कि चतुर्मास में योग निद्रा में लीन भगवान विष्णु इसी दिन करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से पुराने से पुराने संकट भी दूर हो जाते हैं। इस दिन विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।
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इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 3 सितंबर को सुबह 3:53 बजे शुरू होगी। एकादशी का मुहूर्त अगले दिन सुबह 4:21 बजे तक है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग 4 सितंबर को दोपहर 1:36 बजे से शाम 4:07 बजे के बीच पारण कर सकते है। खास बात ये है कि इस साल ये एकादशी तीन शुभ योगों आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग में पड़ रही है। इन शुभ संयोगों के कारण इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। आयुष्मान योग दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देता है, सौभाग्य योग परिवार में सुख-शांति लाता है ।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल, मौसमी फल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते और पीले वस्त्र अर्पित करें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। दिन भर मन शांत रखें और फलाहार करें या निर्जल व्रत रखकर रात में भगवान के भजन-कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन की अन्य समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। जैसे, इस दिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करने से करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। शाम के समय पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और पितृ दोष का नाश होता है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और फल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में शांति बनी रहती है।