Navratri 2025: जानिए महानवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान...
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डेस्क। नवरात्रि (Navratri 2025) का त्योहार हर साल भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है। इस वर्ष नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को महानवमी के साथ समापन की ओर बढ़ रहा है। 1 अक्टूबर 2025 को पड़ने वाली महानवमी तिथि का खास धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त कन्या पूजन करते हैं, जिसमें छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है।

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यह परंपरा धार्मिक आस्था का हिस्सा है। महानवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं को आमंत्रित कर उनके पैर धोना, तिलक लगाना और उन्हें भोग लगाना बेहद शुभ होता है। इस दिन कन्याओं को लाल चुनरी, फल, मेहंदी और अन्य उपहार भी दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से माता दुर्गा की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है:

इस बार महानवमी की तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7 बजे तक रहेगी। इसके अनुसार कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त दिन के लगभग मध्याह्न से शुरू होकर शाम तक माना गया है। इस अवधि में पूजन करना सबसे उत्तम होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कन्या पूजन के दौरान घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजन में हलवा, पूरी और चने का भोग लगाना पुण्यकारी माना जाता है। इस दौरान कोई भी नेगेटिव भावना जैसे गुस्सा, झगड़ा या नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। इस दिन मन को शुद्ध रखकर, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करनी चाहिए।

महानवमी पर मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध:

महानवमी न केवल नवरात्रि का अंतिम, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। यह मां दुर्गा के महिषासुर वध का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिससे बुराई का अंत और अच्छाई का उदय हुआ। इसलिए इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। देश भर के मंदिरों और घरों में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है।

इसके साथ ही हवन और कन्या पूजन जैसे अनुष्ठान भी होते हैं, जो नवरात्रि व्रत को पूर्णता प्रदान करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत और पूजा में कन्या पूजन एक ऐसा अनुष्ठान है जो भक्तों को मां दुर्गा की शक्तियों से जोड़ता है।

अक्टूबर 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार इस प्रकार हैं:

2 अक्टूबर को दशहरा (विजयादशमी): असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा इस बार 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक इस त्योहार पर लोग रावण दहन करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

3 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी: भगवान विष्णु को समर्पित इस एकादशी पर उपवास रखने से पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

4 अक्टूबर को शनि प्रदोष व्रत: भगवान शिव और शनिदेव की पूजा के लिए खास दिन है। इस दिन व्रत रखने से सभी रुके काम पूरे होते हैं।

6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा: इस दिन को चांदनी रात में अमृत बरसाने वाला दिन कहा जाता है। लोग इस दिन खीर बनाकर चांदनी में रखते हैं और फिर प्रसाद के रूप में खाते हैं।

7 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती और मीराबाई जयंती: इस दिन रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि और भगवान कृष्ण की भक्त मीराबाई को याद किया जाता है।

8 अक्टूबर को कार्तिक मास की शुरुआत: धार्मिक दृष्टि से कार्तिक मास बहुत पुण्यदायक माना गया है। स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है।

10 अक्टूबर को करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी: करवा चौथ पर सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वहीं संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

13 अक्टूबर को अहोई अष्टमी: माएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं और तारों को देखकर व्रत खोलती हैं।

17 अक्टूबर को रमा एकादशी और गोवत्स द्वादशी: यह दिन लक्ष्मी पूजन का दिन है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में दरिद्रता दूर होती है। वहीं इसी दिन गोवत्स द्वादशी भी है, जिसमें महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा करके परिवार में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

18 अक्टूबर को धनतेरस: इस दिन धन के देवता कुबेर, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा होती है।

19 अक्टूबर को हनुमान जयंती: इस तिथि को व्रत और हनुमान जी की पूजा करने से जीवन से भय और संकट दूर होते हैं। श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

20 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी और दीपावली: भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की याद में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसी दिन दीपावली भी है, जिसे अंधकार पर प्रकाश की जीत का दिन माना जाता है। घरों में दीप जलाए जाते हैं, और मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है।

21 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या: पितरों के लिए तर्पण और दीपदान का खास दिन होता है। यह दिन पुण्य कमाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट: भगवान कृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इस दिन विशेष पकवान बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।

23 अक्टूबर को भाई दूज: बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर लंबी उम्र की दुआ देती हैं। यह दीपावली का अंतिम दिन होता है।

25 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी: भगवान गणेश की पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और नए कामों में सफलता मिलती है।

27 अक्टूबर को छठ महापर्व: चार दिन तक चलने वाला यह पर्व सूर्य देव को समर्पित होता है। महिलाएं और पुरुष निर्जला व्रत रखकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह पर्व खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।

31 अक्टूबर को अक्षय कूष्माण्ड नवमी: इस दिन माता कूष्माण्डा की पूजा से सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। यह दिन दान और पुण्य के लिए खास होता है।

नवंबर की शुरुआत में छठ पूजा का अर्घ्य और समापन होगा, लेकिन इसकी तैयारियां और व्रत की शुरुआत अक्टूबर से ही हो जाएगी।

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इन्हें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव है और इन्होंने इसे लेकर कई आर्टिकल्स लिखे हैं।
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