डेस्क। भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी (Janmashtami) हर साल साधक पूर्ण भव्यता के साथ मनाते हैं। यह पर्व (festival) अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व 16 अगस्त को मनाया जा रहा है।
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ऐसा माना जाता है कि तुलसी के बिना श्रीकृष्ण भोग स्वीकार नहीं करते इसलिए भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को भोग अर्पित करते समय तुलसी के पत्ते ज़रूर शामिल करने चाहिए। तुलसी को ‘विष्णु प्रिया’ कहा गया है, और क्योंकि श्रीकृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसलिए तुलसी उन्हें अत्यंत प्रिय है। भोग में तुलसी अर्पित करना न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह भगवान के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम का प्रतीक भी है।
पंचांग के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि (Janmashtami) का आरंभ 15 अगस्त दिन शुक्रवार को रात में 12:58 से हो गया है जो 16 अगस्त दिन शनिवार को रात में 10:30 तक ही व्याप्त रहेगा। उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। इस प्रकार अष्टमी तिथि में भरणी नक्षत्र 15 अगस्त को दिन में 9:58 से आरंभ होगा। जो 16 अगस्त दिन शनिवार को सुबह दिन में 9:08 तक व्याप्त रहेगा। उसके बाद संपूर्ण दिन एवं संपूर्ण रात सहित 17 की सुबह 6:26 बजे तक कृतिका नक्षत्र व्याप्त रहेगी। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र आरम्भ होगा अर्थात जब अष्टमी तिथि है तब तक रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है।

रोहिणी नक्षत्र का आरंभ ही नवमी तिथि में हो रही है। इस प्रकार अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है। इस कारण से उदय कालिक मान्यताओं को प्रधानता देते हुए श्री कृष्ण (Lord Krishna) जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि 16 अगस्त को किया जाएगा यद्यपि की रोहिणी नक्षत्र का अनुसरण करने वाले वैष्णव जन जन्माष्टमी का व्रत 17 अगस्त को करेंगे इस प्रकार इस वर्ष जन्म श्री कृष्ण जन्माष्टमी में तिथि एवं नक्षत्र का शुभ संयोग एक साथ नहीं मिल रहा है।
भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को माखन बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हें माखन और मिश्री का भोग जरूर लगाएं। यह जन्माष्टमी का एक पारंपरिक भोग है, जिसे चढ़ाने से जीवन में शुभता का आगमन होता है। साथ ही कान्हा खुश होते हैं। इस दिन खीर भी भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती है। इस दिन मौसमी फल जैसे – केले, सेब और अंगूर का भोग भी लगाया जाता है।