नई दिल्ली। ग्लोबल मार्केट (Global market) से आज मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। अमेरिकी बाजारों में पिछली सत्र में मजबूती का रुख देखा गया, लेकिन डाउ जॉन्स फ्यूचर्स में गिरावट नजर आ रही है। यूरोपीय बाजारों में पिछले सत्र में लगातार बिकवाली का दबाव बना, जिसके परिणामस्वरूप प्रमुख सूचकांकों में गिरावट आई। वहीं एशियाई बाजारों में आज मिला-जुला कारोबार हो रहा है।
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अमेरिकी बाजारों का ऐसा है हाल:
अमेरिका में वॉल स्ट्रीट के सूचकांकों में पिछले सत्र में लिवाली का जोर था। एस एंड पी 500 इंडेक्स 0.49 प्रतिशत की तेजी के साथ 6,664.36 अंक पर बंद हुआ, जबकि नैस्डेक ने 160.75 अंक (0.72 प्रतिशत) की बढ़त के साथ 22,631.48 अंक पर कारोबार खत्म किया। इसके विपरीत, डाउ जॉन्स फ्यूचर्स आज 0.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 46,281.38 अंक पर कारोबार कर रहा है, जो निवेशकों को चिंता में डाल रहा है।
यूरोपीय बाजारों में दबाव:
यूरोपीय बाजारों में पिछले सत्र के दौरान दबाव बना। एफटीएसई इंडेक्स 0.12 प्रतिशत गिरकर 9,216.67 अंक पर बंद हुआ, जबकि सीएसी और डीएएक्स इंडेक्स में भी मामूली गिरावट देखने को मिली। एफटीएसई ने 0.12 प्रतिशत और सीएसी ने 0.01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। डीएएक्स इंडेक्स 0.15 प्रतिशत नीचे गिरकर 23,639.41 अंक पर बंद हुआ।
एशिया बाजारों में मिला-जुला कारोबार:
इसके मुकाबले, एशियाई बाजारों में मिला-जुला कारोबार देखने को मिल रहा है। एशिया के 9 बाजारों में से 5 ने सकारात्मक प्रदर्शन किया, जबकि 4 बाजारों में गिरावट रही। गिफ्ट निफ्टी 133.50 अंक (0.52 प्रतिशत) की गिरावट के साथ 25,301.50 अंक पर कारोबार कर रहा है। जकार्ता कंपोजिट और हैंग सेंग इंडेक्स में भी गिरावट आई, जबकि स्ट्रेट्स टाइम्स इंडेक्स में मामूली कमजोरी देखने को मिली।
कोस्पी इंडेक्स मजबूत, निक्केई में बढ़त:
हालांकि, कुछ एशियाई बाजारों ने अच्छा प्रदर्शन किया। कोस्पी इंडेक्स 0.96 प्रतिशत की मजबूती के साथ 3,478.64 अंक पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह, निक्केई और ताइवान वेटेड इंडेक्स में भी अच्छी बढ़त आई। निक्केई इंडेक्स 1.43 प्रतिशत बढ़कर 45,688 अंक पर पहुंच गया, जबकि ताइवान वेटेड इंडेक्स ने 1.08 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,857.39 अंक का आंकड़ा छुआ। इन संकेतों से स्पष्ट है कि ग्लोबल और एशियाई बाजारों में आज मिला-जुला रुझान बना हुआ है। निवेशकों के लिए यह समय सतर्क रहने का हो सकता है, क्योंकि विभिन्न बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी है।

भारतीय शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की सक्रियता में इस साल अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 2025 के केवल 9 महीनों में ही, डीआईआई ने रिकॉर्ड 5.3 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी, जो कि 2024 के पूरे वर्ष के 5.22 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से अधिक है। यह वृद्धि विशेष रूप से म्यूचुअल फंड्स द्वारा की गई खरीदारी से हुई, जिनका योगदान 3.65 लाख करोड़ रुपए रहा। इसमें हर महीने 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) निवेश शामिल है।
इंश्योरेंस और पेंशन फंड्स में निवेश:
म्यूचुअल फंड्स के अलावा, इंश्योरेंस कंपनियों और पेंशन फंड्स ने भी 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया। बाकी का निवेश पोर्टफोलियो मैनेजर्स, अल्टरनेटिव फंड्स, बैंक और अन्य संस्थाओं से आया। इस दौरान अगस्त में म्यूचुअल फंड्स की कैश होल्डिंग्स 1.98 लाख करोड़ रुपए पर स्थिर रही, जो एक उच्च स्तर पर रही। हालांकि, इस मजबूत निवेश प्रवृत्ति के बावजूद, विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में रिटर्न स्थिर होने और वैश्विक दबावों के कारण निवेशक भावना में कमजोरी के संकेत देखे जा रहे हैं। डीआईआई द्वारा की गई खरीदारी के बावजूद, भारतीय इक्विटी ग्लोबल समकक्षों से पिछड़ गई हैं। 2025 में डॉलर टर्म्स में सेंसेक्स और निफ्टी केवल क्रमशः 2 प्रतिशत और 4 प्रतिशत ही बढ़े, जबकि प्रमुख एशियाई और पश्चिमी बाजारों में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश और दबाव की स्थिति:
म्यूचुअल फंड्स में निवेश की स्थिरता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। अगस्त में इक्विटी फंड्स में 33,430 करोड़ रुपए का निवेश हुआ, जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 42,702 करोड़ रुपए था। इसके साथ ही, निवेशकों ने मुनाफा बुक कर स्मॉल-कैप और थीमैटिक फंड्स से रिडेम्पशन बढ़ाया और रियल एस्टेट जैसे अन्य क्षेत्रों में निवेश किया। बाजार में अधिकतर दबाव जीएसटी रेट में बदलाव और त्योहारों के खर्च को लेकर था, जिससे घरेलू बचत पर दबाव बढ़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय कंजंप्शन साइकल में उतार-चढ़ाव आ सकता है, जिससे इक्विटी में नया निवेश कम हो सकता है।
एफआईआई ने बेची 1.80 लाख करोड़ की इक्विटी:
वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार विक्रेता बने रहे हैं। 2025 में अब तक एफआईआई ने 1.80 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी बेची है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.21 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, एफआईआई द्वारा एक्सचेंज के माध्यम से लगातार सेलिंग के बावजूद, उन्होंने प्राइमरी मार्केट में 1,559 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी।
विश्लेषकों की ये है राय:
विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि कमजोर अर्निंग, स्ट्रैच्ड वैल्यूएशन और अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी वित्तीय वर्ष 2027 में कॉर्पोरेट कमाई में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की संभावना है, जो एफआईआई के रुख में बदलाव ला सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बात करें तो ये भारतीय इक्विटी मार्केट में नेट सेलर बने हुए हैं। FII ने पिछले साल भारतीय शेयर बाजारों में 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। 2025 में अब तक उन्होंने 1.8 लाख करोड़ रुपये की सेलिंग की है। भारतीय इक्विटी में FII की हिस्सेदारी 2019 में 22 प्रतिशत थी। अब यह घटकर 16 प्रतिशत रह गई है।
AMFI (Association of Mutual Funds in India) के ताज़ा डेटा के अनुसार म्यूचुअल फंड के इनफ्लो में कमी दर्ज की गई है। August 2025 में इक्विटी फंड का इनफ्लो 22% घट कर 33,430 करोड़ रुपये पर आ गया जबकि जुलाई 2025 में यह आंकड़ा 42,702 करोड़ रुपये था। विशेषज्ञों के अनुसार स्मॉल-कैप और थीमैटिक फंड्स में निवेशकों के चलते हुए दबाव की पहचान हो रही है और निवेशकों ने लाभ-प्रवृत्ति के चलते कुछ पैसे लाभ-संसाधित करते हुए रियल एस्टेट जैसे वैकल्पिक क्षेत्रों में बदले हैं। कुल मिलाकर, मौजूदा माहौल में इक्विटी फंड्स में इनफ्लो का स्पंदन धीमा रहा है, जबकि कुछ निवेशक जोखिम-पृथक क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं।