ECI: बिहार चुनाव में मतगणना प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए नए दिशा-निर्देश जारी, निर्वाचन आयोग ने कहा ये..

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान...
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पटना। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व निर्वाचन आयोग (ECI) अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। चुनाव आयोग ने मतगणना प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुचारू और एकरूप बनाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश डाक मतपत्रों (Postal Ballots) की बढ़ती संख्या और उससे जुड़ी जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।

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नए निर्देशों के अनुसार निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि ईवीएम/वीवीपैट की मतगणना का दूसरा अंतिम चरण तभी शुरू होगा जब उसी निर्वाचन केंद्र पर डाक मतपत्रों (पोस्टल बैलट) की गिनती पूरी हो जाए। इसके साथ ही आयोग ने यह भी निर्देश जारी किया है कि जहाँ डाक मतपत्रों की संख्या अधिक है, वहां रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) यह सुनिश्चित करें कि स्थल पर पर्याप्त टेबल और गिनती कर्मचारियों की व्यवस्था हो ताकि देरी से बचा जा सके और मतगणना की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे।

निर्वाचन आयोग का यह 30वां बड़ा कदम है, जो पिछले छह महीनों में किए गए चुनावी सुधारों की श्रृंखला का हिस्सा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वोटों की गिनती में कोई भी देरी न हो और सभी चरण एक सुनियोजित प्रक्रिया के अंतर्गत पूरे हों।

डाक मतपत्रों की संख्या में वृद्धि का कारण:

डाक मतपत्रों की संख्या में वृद्धि का कारण हालिया सुधार हैं, जैसे कि 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग (PWD) मतदाताओं को घर बैठे मतदान की सुविधा देना। इन मतपत्रों की गिनती अब और अधिक औपचारिक तरीके से की जाएगी। नए निर्देशों के मुताबिक, किसी भी मतगणना केंद्र पर तब तक ईवीएम और वीवीपैट की अंतिम चरण की गिनती शुरू नहीं की जाएगी, जब तक डाक मतपत्रों की गिनती पूरी न हो जाए।

इस नए निर्देश के अनुसार, जहां डाक मतपत्रों की संख्या अधिक है, वहां रिटर्निंग ऑफिसर (RO) को पर्याप्त टेबल और गिनती कर्मियों की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। इससे यह तय किया जाएगा कि मतगणना में कोई विलंब न हो और प्रक्रिया अधिक सटीक और व्यवस्थित बने। चुनाव आयोग का कहना है कि यह बदलाव मतदाताओं के विश्वास को और मजबूत करेगा तथा चुनाव प्रणाली की निष्पक्षता को और सुदृढ़ बनाएगा। यह कदम आयोग की तकनीकी सशक्तिकरण, मतदाता सुविधा और राजनीतिक पारदर्शिता की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

चुनाव आयोग की पिछली पहलों में कई उल्लेखनीय प्रयास शामिल:

निर्वाचन आयोग की तरफ से चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने और जनता का विश्वास बनाये रखने को लेकर लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। इससे पूर्व भी निर्वाचन आयोग ने पिछली पहलों से उल्लेखनीय सुधार किए हैं, जिनमें 808 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाना, प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं की सीमा तय करना, बीएलओ को स्टैंडर्ड फोटो आईडी कार्ड जारी करना, देश भर में 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित करना और ईसीआईनेट डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत करना शामिल है। ये सारे कदम चुनाव प्रक्रिया में आधुनिक तकनीकों के बेहतर उपयोग और नागरिकों को अधिक सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।

मतदाता की आवाज को महत्व देने की कोशिश:

डाक मतपत्रों पर विशेष ध्यान देना यह दर्शाता है कि आयोग हर मतदाता की आवाज को महत्व देता है, चाहे वह घर से वोट कर रहा हो या बूथ पर जाकर। इस निर्देश से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतगणना प्रक्रिया के सभी चरण पारदर्शी और एकरूप हों, जिससे किसी भी पक्षपात की संभावना समाप्त हो। चुनाव आयोग की यह पहल आने वाले चुनावों में एक मानक स्थापित कर सकती है।

चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन की प्रमुख बातें:

इससे पहले जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब पहली बार EVM के साथ बैलेट पेपर पर प्रत्याशियों की रंगीन तस्वीरें छपी होंगी। तस्वीर में प्रत्याशी का चेहरा फोटो के तीन-चौथाई हिस्से में दिखेगा, ताकि मतदाता आसानी से पहचान सकें। इसके अलावा, प्रत्याशियों और NOTA के सीरियल नंबर अंकों में बड़े और बोल्ड फॉन्ट का प्रयोग किया जाएगा। सभी प्रत्याशियों और NOTA के नाम एक ही तरह के फॉन्ट और एक ही आकार में छापे जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की असमानता न हो। चुनाव आयोग ने बैलेट पेपर की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया है। अब ये 70 GSM पेपर पर छपेंगे। विधानसभा चुनावों के लिए गुलाबी रंग के कागज़ का इस्तेमाल किया जाएगा।

ज़रूरी बात यह है कि आयोग ने पिछले छह महीनों के भीतर चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सरल, पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए 28 नए कदम उठाए हैं। इसी क्रम में एक नया कदम भी शामिल किया गया है: संशोधित ईवीएम बैलेट पेपर का इस्तेमाल आगामी चुनावों से शुरू किया जाएगा, जिसकी पहली शुरूआत बिहार से होगी।

पिछले दिनों निर्वाचन विभाग के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रशांत कुमार सीएच की ओर से जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश के अनुसार सभी बैंकों को यह आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा गया है कि वे प्रत्याशियों के लिए विशिष्ट बैंक खाता और चेकबुक जारी करें। प्रत्याशियों को यह दायित्व होगा कि वे अलग बैंक अकाउंट की लिखित जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को प्रदान करें। यह बैंक खाता या तो प्रत्याशी के नाम पर होगा, या प्रत्याशी और Election Agent का संयुक्त खाता होगा। संयुक्त खाता परिवार के सदस्यों का नहीं हो सकेगा। यह खाता राज्य के किसी भी स्थान और किसी भी बैंक का हो सकता है। प्रत्याशी अपने चुनावी खर्च सभी इसी खाते के माध्यम से करेंगे।

विधानसभा चुनाव के दौरान बैंकों के कैश परिवहन (नकदी ढोने) के संबंध में निर्वाचन आयोग ने निर्देश जारी किए हैं।चुनावकाल में नकदी ढोने वाले वाहनों में किसी भी परिस्थिति में आउटसोर्स एजेंसी द्वारा किसी तीसरे व्यक्ति या संस्था की नकदी नहीं रखी जाएगी। अगर ऐसा किया गया तो उस राशि को जांच के दायरे में जब्त कर लिया जाएगा। नकदी ढोने वाले बैंकों के वाहनों के साथ बैंक द्वारा जारी दस्तावेज भी साथ रखना अनिवार्य होगा। इन दस्तावेजों में नकदी कहाँ से कहाँ ले जानी है, इसकी विस्तृत जानकारी दर्ज रहेगी और उसका दस्तावेजी प्रमाण रखना जरूरी होगा। कई बार बैंक से एटीएम या करेंसी चेस्ट तक नकद राशि का परिवहन किया जाता है। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करने के निर्देश दिए हैं।

खाता खोलना क्यों जरूरी हैं?

  • चुनाव खर्च की पारदर्शिता: नामांकन पत्र भरने के बाद होने वाले सभी खर्च इसी खाते से होने चाहिए।
  • खर्च की निगरानी: निर्वाचन आयोग और व्यय पर्यवेक्षक को खर्च का स्पष्ट हिसाब देना होता है।
  • पुराने धन व लेन‑देन से अलगाव: पहले से मौजूद व्यक्तिगत खातों के पुराने बैलेंस या लेन‑देन को चुनावी खर्च में शामिल नहीं किया जा सकता।
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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इन्हें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव है और इन्होंने इसे लेकर कई आर्टिकल्स लिखे हैं।
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