हेल्थ डेस्क। प्राचीन काल से ही लहसुन (Garlic) का प्रयोग औषधीय रूम में किया जाता रहा है। सफेद छिलकों वाला लहसुन दिखने में जितना अच्छा लगता है, उसमें प्रकृति ने उतने की अनमोल गुणों की खान दे रखी हैं। यह लहसुन खाने में जायका बढ़ाने के साथ-साथ आयुर्वेद (Ayurveda) में खास स्थान है। शोध से पता चला है कि सफेद रंग का लहसुन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता ही है। साथ-साथ यह कैंसर (cancer) को कम करने में भी कारगर है।
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लहसुन (Garlic) का वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवम एल है और ऐसा माना जाता है कि यह मध्य एशिया से origins के रूप में आता है। लैटिन भाषा में एलियम का मतलब बल्बनुमा पौधा और सैटिवम का तात्पर्य पौधे की विशिष्ट प्रजाति से है। लहसुन की खेती भारत, चीन, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको आदि देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है। प्राचीन काल से ही लहसुन को दवा के तौर पर प्रयोग में लाया जाता रहा है। आयुर्वेद और रसोई दोनों की दृष्टि से लहसुन को भोजन में शामिल किया जाता है।
कुछ शोध के अनुसार लहसुन को पीसने पर ऐलिसिन नामक एक कंपाउंड बनता है, जो एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर माना जाता है। इसके साथ इसमें एंजाइम, विटामिन B, प्रोटीन, सैपोनिन और फ्लावोनॉइड जैसी सामग्री पाई जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार लहसुन के प्रयोग से कई प्रकार के रोगों से बचाव हो सकता है। भोजन में इसका सेवन करने से दमा, सुनना-समझने में कठिनाई, त्वचा रोग, बलगम, बुखार, हृदय रोग और क्षय रोग जैसे रोगों को दूर करने में मदद मिलती है।

हृदय रोग (heart disease) का मुख्य कारण रक्त वाहिनियों और धमनियों का सिकुड़ जाना है और इनमें कोलेस्ट्रॉल जम जाता है, जिसके कारण शरीर में रक्त-प्रवाह ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। धमनियों के सिकुड़ जाने और उनमें कोलेस्ट्रॉल का जमाव होने के कारण रक्त का प्रवाह बाधित होता है। यह स्थिति एथेरोस्क्लेरोसिस कहलाती है, जिसमें धमनियों की दीवारों पर प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, वसा और अन्य पदार्थों का जमाव) जमा हो जाते हैं। ऐसे में लहसुन के प्रयोग से सिकुड़ी हुई धमनियां साफ हो जाती हैं और व्यक्ति हृदय रोग से मुक्ति पा सकता है।
वैसे आपके भी घरों में लहसुन, धनिया की चटनी बनती ही होगी। यह खाने में टेस्टी तो होती ही है साथ ही शरीर के लिए भी लाभप्रद होती है। लहसुन में अनेकों औषधीय गुण होते हैं। लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, काली मिर्च और सेंधा नमक की चटनी खाने से रक्तचाप कम होता है।