नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के लिए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। एडीआर की रिपोर्ट (ADR Reports) ने भारतीय राजनीति में व्याप्त आपराधिकता की परतें खोल दी हैं। अपराधी और नेताओं का गठजोड़ इस रिपोर्ट से पूरी तरह बेनकाब होता है। इस विश्लेषण के अनुसार, देश के कुल 643 मंत्रियों में से 302, यानी लगभग 47 फीसदी मंत्रियों ने अपने चुनावी हलफनामों में खुद पर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है।
इसे भी पढ़ें-Rahul Gandhi: राहुल गांधी के ‘हाइड्रोजन बम’ वाले बयान पर BJP ने कसा तंज
इनमें से 174 मंत्रियों पर हत्या, अपहरण, और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे अत्यंत गंभीर आरोप हैं, जो लोकतंत्र की शुचिता और गरिमा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब केंद्र सरकार तीन नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिनमें गंभीर आपराधिक आरोपों के तहत गिरफ्तारी होने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को 30 दिनों के भीतर पद से हटाने का प्रावधान शामिल है। एडीआर की यह रिपोर्ट 27 राज्य विधानसभाओं, तीन केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों के शपथपत्रों पर आधारित है, और इसके निष्कर्ष भारतीय राजनीति के लिए एक गंभीर चेतावनी बने हुए हैं।
एडीआर की रिपोर्ट में राजनीतिक दलों के स्तर पर भी आपराधिक मामलों की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। देश की सबसे बड़ी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), के 336 मंत्रियों में से 136 (40 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और इनमें से 88 (26 फीसदी) पर गंभीर आरोप लगे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले चार राज्यों में उसके 60 मंत्रियों में से 45 (74 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 18 (30 फीसदीं) पर गंभीर आरोप हैं। यह दर्शाता है कि आपराधिकता की समस्या किसी एक दल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक राजनीतिक रोग बन चुका है।

अन्य प्रमुख दलों की बात करें तो, तमिलनाडु में सत्तासीन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के 31 में से 27 मंत्रियों (लगभग 87 फीसदी) पर आपराधिक मामले हैं, और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जिसके 23 में से 22 मंत्रियों (96 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और 13 (57 फीसदी) पर गंभीर मामले हैं। यह अनुपात भारतीय राजनीति में आपराधिक तत्वों के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है।
रिपोर्ट के अनुसार कई राज्यों में 60 फीसदी से भी अधिक मंत्री हैं ; जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, ओडिशा, पंजाब, दिल्ली और पुडुचेरी जैसे राज्य इस सूची में शामिल हैं, जहां आधे से अधिक मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह स्थिति इन राज्यों में शासन की गुणवत्ता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाती है। इसके विपरीत, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपने मंत्रियों के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज न होने की जानकारी दी है, जो एक सकारात्मक संकेत है।