नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार 26 सितंबर को जारी आंकड़ों (RBI Report) के अनुसार, 19 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 702.57 बिलियन डॉलर और गोल्ड रिजर्व 360 मिलियन डॉलर बढ़कर 92.78 बिलियन डॉलर हो गया। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, 586.15 बिलियन डॉलर रही।
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इसमें स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) में भारत की रिजर्व स्थिति भी शामिल है, जो क्रमशः 18.88 बिलियन डॉलर और 4.76 बिलियन डॉलर थी। एसडीआर 105 मिलियन डॉलर और आईएमएफ रिजर्व स्थिति 2 मिलियन डॉलर बढ़ी। पिछला हफ्ता शेयर बाजार के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहा। खबरें हैं कि इस अवधि में विदेशी निवेशकों ने काफी शेयर बेचकर भारत से कई भाग पैसे निकाले। इसी दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की स्थिति गिरती गई, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर कमी दर्ज की गई। रविवार-शुक्रवार के अंत तक, 19 सितम्बर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 396 मिलियन डॉलर की गिरावट आई। इससे पहले के तीन लगातार सप्ताहों में यह भंडार बढ़त पर था।
विदेशी मुद्रा भंडार 4.69 बिलियन डॉलर बढ़ा:
आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.69 बिलियन डॉलर बढ़कर 702.9 बिलियन डॉलर हो गया था, जबकि सितंबर 2024 के अंत में यह रिकॉर्ड 704.885 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था। आरबीआई रुपए में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए डॉलर की बिक्री सहित, लिक्विडिटी ऑपरेशन के माध्यम से विदेशी मुद्रा बाजार में समय-समय पर हस्तक्षेप करता है। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि ऐसे हस्तक्षेप का उद्देश्य किसी विशेष विनिमय दर को लक्षित करने के बजाय बाजार की स्थिति को नियंत्रित करना है। इस बीच, पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.5 बिलियन डॉलर बढ़कर 587.04 बिलियन डॉलर हो गईं। इन परिसंपत्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी प्रमुख वैश्विक मुद्राएं शामिल हैं और डॉलर में इनकी कीमत विनिमय दरों में बदलाव को दर्शाती है।
गोल्ड रिजर्व में 2.1 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी:
पिछले सप्ताह गोल्ड रिजर्व 2.1 बिलियन डॉलर बढ़कर 92.42 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों में रिजर्व लगातार बढ़ रहा है। 5 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.03 बिलियन डॉलर बढ़कर 698 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया था, जबकि इससे पहले के सप्ताह में यह 3.51 बिलियन डॉलर बढ़ा था। विश्लेषकों के अनुसार, रिकॉर्ड हाई के करीब मजबूत भंडार भारत को बाहरी झटकों से बचाने, रुपए को मजबूती देने और वैश्विक निवेशकों, खासकर मौजूदा अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थितियों में, में भरोसा जगाने में मदद करेगा।

FCA में कमी:
RBI द्वारा जारी साप्ताहिक डेटा के अनुसार, आलोच्य सप्ताह के दौरान भारतीय विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets, FCA) में notable कमी दर्ज की गई है। 19 सितम्बर 2025 को समाप्त सप्ताह में FCA में कुल 864 मिलियन डॉलर की कमी ही है। एक सप्ताह पहले FCA में 2.12 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी। वर्तमान में FCA भंडार घटकर 586.150 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है। यह बात उल्लेखनीय है कि देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में FCA एक अहम हिस्सेदारी बनाती है। USD में मापे जाने वाले FCA में यूरो, पाउंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का भी प्रभाव शामिल रहता है।
गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी:
वर्तमान समय में दुनिया के लगभग सभी देश सोने की खरीद में वृद्धि कर रहे हैं, और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। इसी प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप हाल ही में हमारे देश के गोल्ड रिजर्व या स्वर्ण भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है। रिजर्व बैंक के अनुसार, 19 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान हमारे स्वर्ण भंडार में लगभग 360 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है. इससे एक सप्ताह पहले यह वृद्धि लगभग 2.12 बिलियन डॉलर की थी। इस बढ़ोतरी के साथ भारत का सोना-भंडार अब 92.779 अरब डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह देश के SDR (Special Drawing Rights) में भी बढ़त देखने को मिली। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान SDR में लगभग 105 मिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक सप्ताह पहले भी SDR में 32 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी। इस वृद्धि के साथ SDR का कुल मूल्य अब 18.879 अरब डॉलर हो चुका है। इसके अलावा, उसी सप्ताह IMF के पास रखे गए देश के रिजर्व मुद्रा भंडार में भी हल्का-सी वृद्धि देखने को मिली है। यह बढ़कर 2 मिलियन डॉलर हो कर कुल 4.762 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है।
RBI समय-समय पर विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करता है। इसके अंतर्गत वह банк डॉलर बेचने या खरीदने जैसे कदम उठाता है ताकि रुपये में अचानक तेज उतार-चढ़ाव को नियंत्रित किया जा सके। अधिकारिकों का कहना है कि इन दखलों का उद्देश्य रुपये को किसी खास स्तर या बैंड पर बनाए रखना नहीं है, बल्कि बाज़ार में स्थिरता और संतुलन बनाए रखना है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार वैश्विक परिस्थितियों, डॉलर की मजबूती और अन्य मुद्राओं की चाल पर निर्भर रहता है। जहां FCA में गिरावट देखने को मिली है, वहीं सोना और SDR में बढ़ोतरी से भंडार को आंशिक सहारा मिला है। कुल मिलाकर, RBI की सक्रिय दखल और संतुलित नीति आगे भी भारतीय बाज़ार को स्थिर रखने में अहम भूमिका निभाएगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 19 सितम्बर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 396 मिलियन डॉलर घटकर 702.57 बिलियन डॉलर रह गया है। पिछले हफ्ते, यानी 12 सितम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में भंडार में 4.69 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी और यह दायरे में 702.9 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था। वहीं, सितम्बर 2024 के अंत में यह अब तक का सबसे ऊँचा स्तर 704.885 बिलियन डॉलर पर दर्ज किया गया था। विदेशी मुद्रा संपत्ति में सबसे बड़ी गिरावट कुल रिजर्व में सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets FCA) का होता है। 19 सितम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में FCA 864 मिलियन डॉलर घटकर 586.15 बिलियन डॉलर पर आ गया।
डॉलर के अलावा FCA में यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं का असर शामिल रहता है, इसलिए अन्य वैश्विक करेंसी में उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव भारत के फॉररेक्स रिजर्व पर पड़ता है। सोना और SDR में वृद्धि हालांकि विदेशी मुद्रा संपत्ति में कमी दर्ज हुई, लेकिन सोने के भंडार में 360 मिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई। इसके साथ ही सोने का कुल रिजर्व 92.78 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इसी प्रकार, विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, SDR) में भी बढ़ोतरी हुई और यह 105 मिलियन डॉलर चढ़कर 18.88 बिलियन डॉलर पर दर्ज किए गए।