नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 (Waqf Act) के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया, बल्कि इस कानून के विरुद्ध दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने इसे खारिज करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने वक्फ कानून के दो प्रावधानों में बदलाव के आदेश भी जारी किए। इस निर्णय का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी स्वागत किया है, उनका कहना है कि इस फैसले से न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत हुई है।
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर कोर्ट का आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है जिन्होंने संसद में इस कानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट्स प्रस्तुत किए थे। माना जाता था कि उन नोट्स को नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन आज के फैसले से उनके नोट्स की न सिर्फ अहमियत सिद्ध होती है, बल्कि उनकी आवाज़ को भी सही ठहराया गया है।
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यह आदेश इसलिए जरूरी था क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपी गलत मंशा को काफी हद तक विफल कर देता है और वक्फ अधिनियम के उन धारणाओं के पीछे की मंशा मतदाता को भड़काए रखने और धार्मिक विवादों को हवा देने की थी।

कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास और उससे जुड़े धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को अच्छी तरह समझता है, साथ ही सरकार के उद्देश्यों को भी जानता है। रावत ने यह उम्मीद जताई कि अगर सरकार न्याय नहीं दे पा रही है, तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में न्याय करेगा। उन्हीं के एक बयान के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास को भी पहचानता है और इसके साथ जुड़े धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को भी समझता है, साथ ही सरकार के उद्देश्य को भी ध्यान में रखता है। हम उम्मीद करते हैं कि अगर सरकार न्याय नहीं दे सकी है, तो सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किन बिंदुओं पर क्या निर्णय आ रहा है, इसपर टिप्पणी करने की क्षमता मैं नहीं रखता/रखती।