नई दिल्ली। सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने के कारण गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Aacharya Devvrat) को महाराष्ट्र की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि आचार्य देवव्रत अब गुजरात के राज्यपाल के रूप में अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यों का भी निर्वहन करेंगे।
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राष्ट्रपति के आदेश के मुताबिक, आचार्य देवव्रत का यह पदभार तब तक रहेगा जब तक नए राज्यपाल की नियुक्ति नहीं की जाती। आचार्य देवव्रत ने 2019 से गुजरात के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभाला था। इससे पहले वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
कौन हैं आचार्य देवव्रत:
आचार्य देवव्रत एक शिक्षाविद, समाजसेवी और वैदिक विद्वान के रूप में जाने जाते हैं। वे लंबे समय तक गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से जुड़े रहे हैं। उन्होंने हरियाणा के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्रधानाचार्य के रूप में काम किया है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
आचार्य देवव्रत ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत शिक्षा और समाज सेवाओं से की थी। 2015 में उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जो उनके राजनीति‑जीवन की शुरुआत माना गया। जुलाई 2019 में वे गुजरात के राज्यपाल बने, और तब से इस पद पर कार्यरत हैं। इस क्रम में अब, वर्ष 2025 में उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।

सीपी राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया था, जिसमें वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार थे। राधाकृष्णन ने विपक्षी दलों के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को हराकर 452 वोटों के साथ उपराष्ट्रपति का चुनाव जीता। उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का कार्यकाल 2019 से चल रहा है, और वे अब महाराष्ट्र के अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं। उनके नेतृत्व में, गुजरात में कई सुधारों और प्रगति की दिशा में कदम उठाए गए हैं।