नई दिल्ली। जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति के साथ जीएसटी में बड़े सुधारों को मंजूरी दी है। इस बैठक में जीएसटी में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्लैब टैक्स संरचना (GST Reforms) को भी स्वीकृति मिली है। ये नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी। केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद माना जा रहा है कि लगभग सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।
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GST Reforms की भाजपा के नेता सराहना कर रहे हैं जबकि विपक्षी दलों ने इसे आडे हाथों ले लिया हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी सुधार पर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने पिछले आठ साल गलत रास्ता अपनाया और अब मजबूरी में यू-टर्न लिया गया है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि यह टैक्स शुरुआत से ही गुड एंड सिंपल टैक्स होना चाहिए था। उन्होंने इसे देर से उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि अब जाकर सरकार को अपनी गलती का एहसास हुआ है।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जीएसटी सुधारों पर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में ही दरों में कटौती की घोषणा कर दी थी, जबकि यह फैसला संवैधानिक निकाय जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद होना चाहिए था। रमेश ने पूछा कि क्या अब जीएसटी काउंसिल सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी काफी समय से जीएसटी 2.0 की मांग करती आ रही है, जिसमें दरें घटें, एमएसएमई पर बोझ कम हो, और टैक्स चोरी तथा गलत वर्गीकरण जैसी समस्याओं का समाधान हो।
आगे उन्होंने कहा कि 2017 से ही कांग्रेस ने जीएसटी की खामियों की ओर ध्यान दिलाया है, पर सरकार ने उसकी आवाज को अनदेखा किया। रमेश का कहना है कि वर्तमान सुधारों से उपभोक्ताओं को कुछ हद तक राहत तो मिलेगी, लेकिन असली जीएसटी 2.0 की प्रतीक्षा अभी भी जारी है। उन्होंने राज्यों के लिए मुआवजे की अवधि पांच साल और बढ़ाने की आवश्यकता को भी महत्वपूर्ण बताया। वहीं जीएसटी परिषद ने 12% और 18% के स्लैब को मिलाकर 5% और 18% की दो दरें तय की हैं।