नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 125 वें एपिसोड में प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र किया। साथ ही लोकल फॉर वोकल पर जोर दिया। आज उन्होंने हमेशा की तरह रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस मानसून में प्राकृतिक आपदा ने हर भारतीय को दुखी किया है। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनका दर्द हम सबका दर्द है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस मानसून में हमने बाढ़ और भूस्खलन का भीषण कहर देखा है। कहीं घर तबाह हो गए, कहीं खेत जलमग्न हो गए। इन घटनाओं में परिवार बर्बाद हो गए। कहीं पुल और सड़कें पानी के तेज बहाव में बह गईं, लोगों का जीवन संकट में फंस गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में राहत और बचाव कार्यों में लगी सेना और सभी बचाव दलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जहां भी संकट आया, हमारे एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवान और अन्य सुरक्षा बल दिन-रात वहां लोगों को बचाने के लिए जुटे रहे। जवानों ने तकनीक का भी सहारा लिया। थर्मल कैमरों, लाइव डिटेक्टरों और खोजी कुत्तों की मदद से ड्रोन से निगरानी की गई। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई और घायलों को एयरलिफ्ट किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा, “आपदा की घड़ी में सेना मदद के लिए आगे आई। स्थानीय लोग, समाजसेवी, डॉक्टर और प्रशासन, सभी ने संकट की इस घड़ी में हर संभव प्रयास किया।” इस दौरान प्रधानमंत्री ने आपदा के दौरान मानवता को सर्वोपरि रखने वाले प्रत्येक नागरिक का तहे दिल से धन्यवाद किया।
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले दिनों में कई त्योहार आएंगे। इन त्योहारों में स्वदेशी की बात कभी न भूलें। उपहार भारत में बनें, कपड़े भारत में बुने जाएं, सजावट भारत में बनी सामग्री से हो, रोशनी भारत में बनी मालाओं से हो – और भी बहुत कुछ, जीवन की हर जरूरत में सब कुछ स्वदेशी हो। गर्व से कहो ‘यह स्वदेशी है’। हमें इसी भावना के साथ आगे बढ़ना है। एक मंत्र ‘वोकल फॉर लोकल’, एक मार्ग ‘आत्मनिर्भर भारत’, एक लक्ष्य ‘विकसित भारत’। इस बार मन की बात का प्रसारण में प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल पर जोर दिया।