अमेरिका। अमेरिकी अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (Trump Tariff) को झटका देते हुए इसे गैरकानूनी बताया है और भारत को संभावित राहत दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप के पास इस तरह के शुल्क लगाने के इतने व्यापक अधिकार नहीं हैं। हालांकि, कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक टैरिफ को जारी रखने की अनुमति दी है। इसके बाद ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका मिल जायेगा।
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उधर कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद, ट्रंप (Donald Trump) ने इसे “बेहद पक्षपातपूर्ण” बताया है और इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, जहां उन्हें “मदद” मिलने की उम्मीद है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, अगर ये शुल्क कभी हटाए भी गए, तो यह देश के लिए पूरी तरह से विनाशकारी होगा। यह हमें आर्थिक रूप से कमज़ोर बना देगा और हमें मजबूत होना होगा। इन्हें हटाना “देश के लिए विनाशकारी” होगा। वहीं व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव कुश देसाई ने अस्थायी रोक का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए शुल्क अभी भी लागू रहेंगे और उन्हें उम्मीद है कि अंत जीत सरकार की होगी।

दरअसल यह फैसला उन करों पर लागू होता है जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल के कानून के तहत लगाए गए थे, सुरक्षा संबंधी करों पर नहीं। अगर भारत सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती से बच निकलता है, तो उस पर लगाया गया 25 प्रतिशत शुल्क जरूर हटा दिया जाएगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क भी इस फैसले में शामिल है या नहीं, क्योंकि होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम का कहना है कि यह शुल्क रूस से अमेरिका को होने वाले खतरे से निपटने के लिए लगाया गया था।
अदालत के फैसले में उन शुल्कों को शामिल नहीं किया गया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण एल्युमीनियम ,तांबे और स्टील पर लगाए गए हैं। इसलिए तेल पर लगने वाला टैरिफ जारी रहेगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता को लेकर एक कानूनी लड़ाई भी सुप्रीम कोर्ट जाने वाली है, जिससे ट्रंप की पूरी आर्थिक नीति को झटका लगेगा और एक अभूतपूर्व कानूनी टकराव पैदा होगा।