डेस्क। भारत एक ऐसा देश है, जहां तीज-त्योहारों का मतलब भावनाओं, परंपराओं और रिश्तों की मिठास से भरा होता हैं। यहां हर त्योहार का अपना अलग महत्व होता है। ऐसा ही महिलाओं के लिए एक खास त्योहार हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2025) है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
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यह व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि इसमें पूरे दिन बिना अन्न-जल के उपवास रखना होता है, अर्थात बिना अन्न-जल के पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की जाती है। हरतालिका तीज, जिसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, यह पर्व देवों के देव महादेव और देवी पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा से जुड़ी है। इस बार हरतालिका तीज बेहद खास संयोग लेकर आ रही है। इस बार त्योहार पर चार शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं।
इस वर्ष यह पर्व मंगलवार, 26 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त को सुबह 11:39 बजे से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 12:39 बजे तक रहेगी। यह व्रत 26 अगस्त को उदयातिथि में रखा जाएगा। जबकि व्रत का समापन 27 अगस्त को चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय के बाद होगा। इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 35 मिनट का यानी सुबह 5:56 बजे से 8:31 बजे तक है ।

इस बार हरतालिका तीज पर चार दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार संयोगों के कारण यह तीज व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि ज्योतिष की दृष्टि से भी अत्यंत फलदायी माना जा रहा है। मान्यता है कि ऐसे योगों में व्रत रखने पर इसका प्रभाव और पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं। फिर घर में किसी पवित्र स्थान पर मिट्टी, चांदी या पीतल से बनी शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद भगवान गणेश की पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। पूजा में बेलपत्र, धूप, दीप, पुष्प, मिठाई, फल और मौसमी फल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं। इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है।