नई दिल्ली। यूएस-भारत के बीच रिश्तों में 17 दिन पहले 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद पहली बार विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इन संबंधों की ताजा स्थिति साझा की है। इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 के मंच से बात करते हुए जयशंकर ने कई अहम मुद्दों पर स्पष्ट जवाब दिए।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच यह दोस्ती उतनी सहज नहीं है कि अचानक कोई कटौती या टूट हो जाए, बल्कि एक सतत और विभिन्न विषयों पर चलते रहने वाला संबंध है। विदेश मंत्री के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अब भी चालू है और आगे भी जारी रहेगी। इस प्रक्रिया में हमने कुछ स्पष्ट और निर्णायक “रेड लाइनों” तय कर रखी हैं, जिन्हें पार नहीं किया जाएगा। उन्होंने खास तौर पर कहा कि किसानो और छोटे उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं किया जा सकता, यह महत्वपूरण मुद्दा है जिसे किसी हालत में समझौता नहीं किया जाएगा।

रूस से तेल आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर जवाब देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका के दुरुपयोग भरे दोहरे रवैये पर स्पष्ट सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को तेल के रूप में दिखाया जाता है, जबकि चीन—जो रूस का सबसे बड़ा आयातक है—पर किसी प्रकार का टैरिफ नहीं लगाया गया। भारत को निशाने पर लेने वाली दलीलों पर चीन पर क्यों लागू नहीं होते? उन्होंने साफ़ कहा कि यदि रूस से तेल या उसके मुकाबला खरीदने में आपको समस्या है, तो आप न खरीदें। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार ऊर्जा से जुड़े निर्णय लेगा और किसी दबाव के आगे नहीं झुकगा। हम किसी के आगे सरकने वाले नहीं हैं।
भारत- अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को तगड़ा धक्का देने वाली घटना कुछ हफ्ते पहले देखने को मिली, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयातों पर 25% एक्सट्रा टैरिफ लगाने की घोषणा की। इसी सभा-समारोह के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्रंप की विदेश नीति पर भी टिप्पणी की और कहा कि उन्होंने किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को इतनी सार्वजनिक रूप से इस तरह के कदम उठाते नहीं देखा।