Gyanesh Kumar: नई दिल्ली। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के मुद्दे पर चुनाव आयोग और विपक्ष गठबंधन आमने सामने आ गए है। बता दें चुनाव आयोग की तरफ से कांग्रेस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया गया है। इस बीच विपक्षी INDI गठबंधन लामबंद हो गया है और मुख्य चुनाव आयुक्त Gyanesh Kumar के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
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विपक्ष ने SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ कई दिनों से चला आ रहा अपना विरोध और तेज कर दिया है। सूत्रों की माने तो INDI गठबंधन CEC ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग का नोटिस देने का फैसला किया है। सूत्रों की माने ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने का निर्णय राज्यसभा में नेता प्रतिविपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई I.N.D.I.A. के फ्लोर नेताओं की बैठक में लिया गया।
INDIA गठबंधन बिहार में मतदाता सूची से नाम काटे जाने के साथ ही गरीबों की चोरी और पक्षपात को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि नामांकन के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के व्यवहार से भी नाराजगी है। कांग्रेस के कम्युनिस्ट नेता नासिर हुसैन ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पार्टी के अंदर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है, लेकिन जरूरत है तो सिद्धांत के मुताबिक कांग्रेस महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।

इंडिया ब्लॉक के सांसद संसदीय दल बिहार में चल रहे एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी के सदस्य भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ वोट चोरी के आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के गौरव गौरव गोगोई ने मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुख्य चुनाव आयुक्त ने बीजेपी से सवाल क्यों नहीं किया जो सवाल उन्होंने नामांकन से किया। बीजेपी की तरफ से भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी। लेकिन सीईसी भाजपा के साथ कांग्रेस के व्यवहारकर्ता के रूप में क्यों नहीं कर रहे हैं? मुझे लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में इस संवैधानिक पद की गरिमा को खत्म कर दिया गया है।
क्या होती है प्रक्रिया?
मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा या राज्यसभा, दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा। इसके बाद, प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा और वहां भी दो-तिहाई बहुमत से पारित होना अनिवार्य है। दोनों सदनों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद ही राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं।
दरअसल मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से निर्धारित है। संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही है। इसका अर्थ है कि उन्हें केवल महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है।