Foreign Currency Reserve: 4.74 अरब डॉलर बढ़ा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जानें कैसे हुआ ये

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान...
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नई दिल्ली। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) 8 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 4.75 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 693.62 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सुदृढ़ मौद्रिक नीति (monetary policy), निर्यात में सुधार, और वैश्विक बाजार में बढ़ती अस्थिरता के बीच भारत की आर्थिक स्थिरता को दर्शाती है।

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इस भंडार में सबसे बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets) का रहा, जो 2.84 अरब डॉलर बढ़कर 583.98 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसमें डॉलर के मुकाबले यूरो, येन और पाउंड जैसी मुद्राओं की मजबूती का भी प्रभाव शामिल है। इसके अतिरिक्त, गोल्ड रिजर्व (सोने का भंडार) भी 2.16 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 86.16 अरब डॉलर हो गया है। यह बढ़ोतरी वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों और सोने को एक ‘सुरक्षित निवेश’ के रूप में मानने की प्रवृत्ति को दर्शाती है।

आपको बता दें कि RBI ने 2021 से अब तक अपने सोने के भंडार को लगभग दोगुना कर लिया है। स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs) की वैल्यू 18.74 अरब डॉलर रही, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से प्रदान किए गए विशेष वित्तीय संसाधनों को दर्शाती है। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा कि यह भंडार भारत को 11 महीने के आयात और 96 प्रतिशत बाहरी कर्ज की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। इसका मतलब यह है कि अगर वैश्विक संकट के चलते पूंजी प्रवाह में रुकावट आती है, तब भी भारत के पास अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के पर्याप्त संसाधन हैं।

भारत के निर्यात क्षेत्र ने भी हाल में मजबूती दिखाई है। जुलाई 2025 में भारत का माल निर्यात 7.29 प्रतिशत बढ़कर 37.24 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 34.71 अरब डॉलर था। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का सेवा और वस्तु निर्यात वैश्विक औसत से कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) में वृद्धि से रुपए को समर्थन, आर्थिक स्थिरता, और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ता है। RBI को अब रुपए की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। साथ ही, आयातित महंगाई को सीमित करने और डॉलर की आपूर्ति बढ़ाने की क्षमता भी मजबूत हुई है। अर्थव्यवस्था के लिए यह संकेत है कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी मजबूत मौद्रिक (Foreign Currency Reserve) और व्यापार नीति का पालन कर रहा है।

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श्वेता सिंह, मीडिया इंडस्ट्री में आठ साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने बतौर कंटेंट राइटर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपना योगदान दिया है। श्वेता ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इन्हें महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव है और इन्होंने इसे लेकर कई आर्टिकल्स लिखे हैं।
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